प्रथम प्रेम...
प्रथम "प्रेम" पूजनीय होता है.. निश्छल.. नि:स्वार्थ, पवित्र..,
उतना ही मासूम जितना.. "नवजात शिशु"...जिसमें ब्रह्माण्ड के अनगिनत...
उतना ही मासूम जितना.. "नवजात शिशु"...जिसमें ब्रह्माण्ड के अनगिनत...