...

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वजह
कोई अब पूछे मुझे वजह क्या है
उसको बेपनाह चाहने की तेरी

ख़ुद से ही पूछ बैठी मैं तो
बस खामोशी ही हाथ लगी मुझे मेरी

तुम्हें अब मैं खो ही नहीं सकती
क्योकीं पाने की मुझको आस न है तेरी

ये इश्क़ का सफर रफ्ता रफ्ता चल पड़ा है
मैं सारी उम्र अब सफर में रहूं यही किस्मत मेरी
© बावरामन " शाख"