...

8 views

चंद लम्हे ज़िंदगी के ,,,
चंद लम्हे ज़िंदगी के मैं यूं काट लेता हूं,
कि गम ए तन्हाई मैं खुद से बांट लेता हूं,

फकत पत्थर ही मिले हैं मुझको समंदर से,
अहल-ए-हुनर हूं पानी में मोती छांट लेता हूं,

मगर उखड़ा सा रहता हूं इन दिनों खुदी से मैं,
मेरी कागज़ कलम से मैं बेबाक उचाट लेता हूं,

हूं दिल-ए-नादाँ कहां मुझे पहचान दुनिया की,
कहूं क्या किसी से बस खुदी को...