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Sherni ki dahad...
लंका ढह गई , कौरव ढह गए
फारसी राज्य तक ढह गया
अकबर ढहा ,हिटलर ढहा
अशोका तक कह गया
ना धरती ढाहे ,ना आसमान ढाहे
तेरा कर्म ही तुझे ढाहता है
ढाहता जैसे ताश के पत्ते
अभिमान जब आता है
पहले ढहती मनुष्य की बुद्धि
एक काल छा जाता है
फिर ढहते घर के आंगन
जीवन अकेला रह जाता है
कंगना को क्या ढाहे भय
उद्धव ठाकरे तेरा अहंकार ढहेगा
ढह जाएगा सब बना बनाया
सुशांत सिंह का इंसाफ कहेगा
यह तेरा राज्य ,गुंडागर्दीड
मुंबई के पानी में मिल जाएगा,
ना तुझे बचाएगा राहुल गांधी
ना बी.एम.सी बचा पाएगा।।
© Dr. Rekha Bhardwaj
फारसी राज्य तक ढह गया
अकबर ढहा ,हिटलर ढहा
अशोका तक कह गया
ना धरती ढाहे ,ना आसमान ढाहे
तेरा कर्म ही तुझे ढाहता है
ढाहता जैसे ताश के पत्ते
अभिमान जब आता है
पहले ढहती मनुष्य की बुद्धि
एक काल छा जाता है
फिर ढहते घर के आंगन
जीवन अकेला रह जाता है
कंगना को क्या ढाहे भय
उद्धव ठाकरे तेरा अहंकार ढहेगा
ढह जाएगा सब बना बनाया
सुशांत सिंह का इंसाफ कहेगा
यह तेरा राज्य ,गुंडागर्दीड
मुंबई के पानी में मिल जाएगा,
ना तुझे बचाएगा राहुल गांधी
ना बी.एम.सी बचा पाएगा।।
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