ग़ज़ल
राधा राणा की कलम से ✍️
सामने मुश्किल खड़ी हैं क्या करोगे।
सामना कैसे कहो इनका करोगे।
अब सियासत रास आने है लगी जब,
तुम भी कुर्सी के लिए झगड़ा करोगे।
धर्म के मसलें पे यूं कब तक लड़ोगे,
क्या कभी ना लड़ने का वादा करोगे
नेकियां गर तुम करोगे गर्व होगा,
हाथ में जब आईना पकड़ा करोगे।
सीख जाओगे सुलझना भी किसी दिन,
उलझनों में गर यूं ही उलझा करोगे।
एक दिन इस भीड़ में खो जायेंगे हम,
इन ग़ज़ल में तुम हमें ढूंढा करोगे।
2122 2122 2122
सामने मुश्किल खड़ी हैं क्या करोगे।
सामना कैसे कहो इनका करोगे।
अब सियासत रास आने है लगी जब,
तुम भी कुर्सी के लिए झगड़ा करोगे।
धर्म के मसलें पे यूं कब तक लड़ोगे,
क्या कभी ना लड़ने का वादा करोगे
नेकियां गर तुम करोगे गर्व होगा,
हाथ में जब आईना पकड़ा करोगे।
सीख जाओगे सुलझना भी किसी दिन,
उलझनों में गर यूं ही उलझा करोगे।
एक दिन इस भीड़ में खो जायेंगे हम,
इन ग़ज़ल में तुम हमें ढूंढा करोगे।
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