लम्बे अरसे बाद
एक लम्बे अरसे के बाद इश्क़ ने मुझे फिर से अपनाया है
तभी तो आज ऐसा लग रहा है कि ये मेरे रूह में समाया है
इसको जीते जी जुदा खुद से अब मैं करूँ भी आखिर कैसे
इसे तवज़्ज़ो भी इसलिए देता हूँ कि यही सुख का साया है
वैसे मिलने का रोज़ मिल जाते...
तभी तो आज ऐसा लग रहा है कि ये मेरे रूह में समाया है
इसको जीते जी जुदा खुद से अब मैं करूँ भी आखिर कैसे
इसे तवज़्ज़ो भी इसलिए देता हूँ कि यही सुख का साया है
वैसे मिलने का रोज़ मिल जाते...