मेरे मन की बात
मेरा दिल बहुत कुछ कहता है
मगर मैं खामोश रहती हूं।
मेरा मन बहुत कुछ कहना चाहता है
मगर लबों से मैं कुछ ना कहती हूं
मैं अब खामोश रहती हूं।
सब टूट चुके हैं।
अब इन आंखों में कोई सपना नहीं है
सब अपने हैं फिर भी कोई अपना नहीं है...
मगर मैं खामोश रहती हूं।
मेरा मन बहुत कुछ कहना चाहता है
मगर लबों से मैं कुछ ना कहती हूं
मैं अब खामोश रहती हूं।
सब टूट चुके हैं।
अब इन आंखों में कोई सपना नहीं है
सब अपने हैं फिर भी कोई अपना नहीं है...