इश्क़ का नज़राना ❤️🥰
निगाहों से चला ये इश्क़ का नज़राना है
मोहब्बत से ये ज़माना हमसे बेगाना है।
छोटे से तारे और चांँद के बीच की दूरी
प्रेमी जोड़ियांँ इस समाज का निशाना है।
हर वह लफ़्ज़ जो फूटा उस किरण से
वह ग़ज़ल दर्द ए दिल का फ़साना है।
बेगैरत ज़माने से उम्मीद भला क्या करें
नाउम्मीदी की निशानी सारा ज़माना है।
उन किताबों के पन्ने फाड़ते जा रहें है,
जो तुझसे ही हमारी दूरी का ठिकाना है।
© Nishi🥰mn
मोहब्बत से ये ज़माना हमसे बेगाना है।
छोटे से तारे और चांँद के बीच की दूरी
प्रेमी जोड़ियांँ इस समाज का निशाना है।
हर वह लफ़्ज़ जो फूटा उस किरण से
वह ग़ज़ल दर्द ए दिल का फ़साना है।
बेगैरत ज़माने से उम्मीद भला क्या करें
नाउम्मीदी की निशानी सारा ज़माना है।
उन किताबों के पन्ने फाड़ते जा रहें है,
जो तुझसे ही हमारी दूरी का ठिकाना है।
© Nishi🥰mn