...

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कभी तो
कुछ बातें मेरी भी
उसी खामोशी से सुन लेना
लेकर आंखों में रात यूं ही
मुस्कुराते कभी तुम जाग लेना

नहीं सुनना हो तो कम से कम
कभी इस बेजुबान के लफ्ज़ बनना
सांसें कभी हुआ करती थी तो
यूंही हवा तुम न हो जाना

कुछ बातें कहनी थी तुमसे
वापस से कहीं न सुन लेना
अनसुने तुम्हारे शिकायत सारे
यूंही अकेले न बीता देना

एक पल ही काफी हो अगर
तो सदियां तुम ना बन जाना
दूसरे पल का भरोसा नही मगर
बेवफा सा भी भरोसा कर जाना

एक पलक में फेर कर कभी
झलक दिखा कर अफवा होना
बादल के शीशे पे भी
तुम्हारी तस्वीर यूं खिल जाना

असर जो किया है सीने पे
उससे दिल में ले न बैठ जाना
तेज हवा सी उड़ जाओ तो
सीने पे आ ठहर जाना

ख्वाब से बढ़ कर हो तुम
मेरी चांद बन कर कभी देख लेना
बस आसमान पहुंच जाओ तो
यूं आंखों से न गिर जाना।।

© Sabita