...

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स्मृतियाँ....
तुम्हारे साथ की वो सारी स्मृतियाँ
मेरे बाहों में हो जैसे
मानव भंगिमा के वो सभी कलाकृतियां
तुम्हारे होंठ, तुम्हारी बातें
भावनाओं से ओत - भिंगी वो रातें
तुम्हारी आंखें औऱ नाक
तुम्हारा लहजा, कुछ बेबाक
मेरे कंधे पर तुम्हारा सर
औऱ सीने पर बिखरे
तुम्हारे बे तरतीब बाल
ओह्ह.. कोई खूबसूरत ख्वाब गुजरा था
तुम्हारे साथ गुजरा ये पूरा साल...



© Rajnish Ranjan