आत्मविश्वास
हृदय में उत्पन्न हुए हजारों सवालों का जवाब ढूंढ रही हूं
भटक तो रही हो पर रहा भी मालूम है
पर बेखबर हूं
अनजान नहीं हूं फिर भी जानबूझकर अनजान बन रहीहूं
सब समझ रही हूं
नियति के खेल में खुद को उलझा रहीहूं
समय से चलना सीखना चाहतीहूं
सभी से नहीं अपने अंतर मन को समझना चाहतीहूं
क्या हूं क्या थी क्या बना है सब संयमपुर वक्त संभालना है खुद को खुद से ही...
भटक तो रही हो पर रहा भी मालूम है
पर बेखबर हूं
अनजान नहीं हूं फिर भी जानबूझकर अनजान बन रहीहूं
सब समझ रही हूं
नियति के खेल में खुद को उलझा रहीहूं
समय से चलना सीखना चाहतीहूं
सभी से नहीं अपने अंतर मन को समझना चाहतीहूं
क्या हूं क्या थी क्या बना है सब संयमपुर वक्त संभालना है खुद को खुद से ही...