#नीतिमत्ता #शांति #जीवनकेमायने
अक्सर सुबह की शांति से,
शाम की शांति से बेहद जूदा है ।
निरवता सुबह को सँवारती,
शाम की चुपकीदी बड़ी अखरती ।
सुबह में मौन मुखर जाता,
तो शाम का बहुत ही अकड़ जाता ।
समज-समज का यह फेर है,
कुछ कम, तो कुछ ज्यादा ही समज लेता ।
पल-पल बदलते रिश्तों का यह दौर है,
कुटिल मन...
शाम की शांति से बेहद जूदा है ।
निरवता सुबह को सँवारती,
शाम की चुपकीदी बड़ी अखरती ।
सुबह में मौन मुखर जाता,
तो शाम का बहुत ही अकड़ जाता ।
समज-समज का यह फेर है,
कुछ कम, तो कुछ ज्यादा ही समज लेता ।
पल-पल बदलते रिश्तों का यह दौर है,
कुटिल मन...