...

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एक दिन
जितना टूटोगे उतना ही निखरोगे तुम एक दिन
क़दर नही आज उसे पर क़दर करेगी एक दिन

तड़प तड़प कर रोयेगी,शर्मिन्दा होगी किये पे
इस क़दर हाल बेहाल होगा उसका एक दिन

ख़्वाब से भी अपने पर्दा करेगी वह उम्र भर
जब देखेगी मुझे ख़ुद पे पछतायेगी एक दिन

जो बह रहा लहू मेरा नीर के समान इस धरा पे
आँखे भी उसकी उसे नीर से भिगायेंगी एक दिन

मेरे सपनों को तोड़कर,सेज अपने सपनों की सजायें हो
टूटेगा जब सपना तुम्हारा रोओगे तुम एक दिन