...

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पहाड़
गिरा दिए कुछ आशियाने,
कुछ आंखों को नम कर दिया,
सीने पर बहुत बोझ था,
थोड़ा कम कर दिया,
सांस लेनी थी मुझे भी,
इसलिए यह सितम कर दिया,
सोया हूं तो शांत हूं,
जागा तो सिंह की दहाड़ हूं,
भूल कर भी न भूलना,
कि मैं एक पहाड़ हूं।
- राजेश वर्मा
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