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माँ 💞
कुछ सपने PREEET पुरे हो नही पाते
रो कर भी हम अब रो नही पाते
सुकूं की नींद लिये गुजर गया जमाना
बिन माँ के सुकून से सो नहीं पाते
अपना समझो कितना भी अपनो को
अपने हो कर भी PREEET अपने हो नही पाते
बिछड़ जाते है अकसर दिल ए अजीज जिंदगी मे
यादें उनकी पर हम खो नही पाते
जो देती है जिंदगी है वही मंजूर करना पड़ता है PREEET
जो चाहते है हम कभी वो नही पाते
💞
रो कर भी हम अब रो नही पाते
सुकूं की नींद लिये गुजर गया जमाना
बिन माँ के सुकून से सो नहीं पाते
अपना समझो कितना भी अपनो को
अपने हो कर भी PREEET अपने हो नही पाते
बिछड़ जाते है अकसर दिल ए अजीज जिंदगी मे
यादें उनकी पर हम खो नही पाते
जो देती है जिंदगी है वही मंजूर करना पड़ता है PREEET
जो चाहते है हम कभी वो नही पाते
💞
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