...

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याद -ए-दोस्त
दिल से वफ़ा तूने निभाई न फिर कभी
हमने भी दोस्ती बनाई न फिर कभी
ए याद-ए दोस्त आज तू जी भर के दिल दुखा
ये रात ज़िन्दगी में आए न फिर कभी
जाने क्या हुआ ए दोस्त तेरे चले जाने से
बुलाते हैं कई ठिकाने पुराने से
महफ़िल सजी तन्हाई की
खुश हो गए वीराने
कुछ हम भी सुकून से हैं
दिल अपना जलाने से
अब मेरा सफ़र अल्हदा
अब उसकी जुदा मंज़िल
ढूंढो न पता उसका
तुम मेरे अफसानों में
© सरिता अग्रवाल