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मैं और मेरी डायरी
मैं और मेरी डायरी अक्सर ये बातें किया करते हैं
अल्फाज़ नये नित चुनकर ये एक कहानी बुनते हैं।
किरदार बदलते रहते हैं कुछ अक्स उभरते रहते हैं
गिरते हैं, उठते हैं, सुस्ताते हैं,फ़िर से कदम बढ़ाते हैं।
ज़िंदगी रूपी कहानी कभी ख़त्म नहीं होती
ये चलती है हमेशा और पन्ने भरते रहते हैं।
किरदार आते हैं भूमिका निभाते हैं बदलते हैं आवरण
और फ़िर से किसी कहानी में ढल जाते हैं।
चलता रहता है य़ह क्रम,इसी का नाम तो है ज़िंदगी
कैसा भी हो किरदार बस ख़ुशी से निभाते हैं।
ज़िंदगी रूपी कहानी को संजीदगी से जिया करते हैं
बस ऐसे ही कुछ नया लिखने का अभ्यास किया करते हैं।
मैं और मेरी डायरी अक्सर ये बातें किया करती हैं।