...

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उलझन
कभी कभी ज़िंदगी इतनी उलझ सी जाती है
कि चाहकर भी सुलझन समझ नहीं आती है....

ज़िंदगी की चाहत अजीबोगरीब है,
साँसें तो हैं लेकिन मौत भी करीब है,
वक़्त के दायरे से गुज़रती है ये ऐसे,
जैसे ख़्वाहिशों के...