ज़िन्दगी
ज़िन्दगी की उलझनों से रिश्ता मेरा पुराना है
ऐ ज़िंदगी तुझसे ख़ुश हूं और संतुष्ट हूं
यह कहना मात्र मेरा बहाना है
तूने मेरी राहों में बिछाए कांटे कितने,
आसमां में भी नहीं हो शायद तारे इतने,
लेकिन फिर भी चुप हूं ,तेरी ज़ख्मों की पनाह में
क्यूंकि जानती हूं ,ना तू मुझे भूलेगी, ना मुझे तुझे भुलाना है।
जिंदगी की उलझनों से रिश्ता मेरा पुराना है।
तुझे शौक़ हो चला है मुझे यूं...
ऐ ज़िंदगी तुझसे ख़ुश हूं और संतुष्ट हूं
यह कहना मात्र मेरा बहाना है
तूने मेरी राहों में बिछाए कांटे कितने,
आसमां में भी नहीं हो शायद तारे इतने,
लेकिन फिर भी चुप हूं ,तेरी ज़ख्मों की पनाह में
क्यूंकि जानती हूं ,ना तू मुझे भूलेगी, ना मुझे तुझे भुलाना है।
जिंदगी की उलझनों से रिश्ता मेरा पुराना है।
तुझे शौक़ हो चला है मुझे यूं...