...

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ज़िन्दगी
ज़िन्दगी की उलझनों से रिश्ता मेरा पुराना है
ऐ ज़िंदगी तुझसे ख़ुश हूं और संतुष्ट हूं
यह कहना मात्र मेरा बहाना है
तूने मेरी राहों में बिछाए कांटे कितने,
आसमां में भी नहीं हो शायद तारे इतने,
लेकिन फिर भी चुप हूं ,तेरी ज़ख्मों की पनाह में
क्यूंकि जानती हूं ,ना तू मुझे भूलेगी, ना मुझे तुझे भुलाना है।
जिंदगी की उलझनों से रिश्ता मेरा पुराना है।
तुझे शौक़ हो चला है मुझे यूं परेशां देख के
और मुझे आदत हो गई है तेरी दी परेशानियों की
ना शिकवा है मुझे तुझसे, ना कोई गिला
जो भी अभी तक दिया मुझे मेरी किस्मत से मिला
ज़िन्दगी तू भी धूप छांव जैसी है
कभी दुःख कभी सुख की राहों जैसी है
मुझे अब इन्हीं राहों में अपने जीवन को चलाना है
जिंदगी की उलझनों से रिश्ता मेरा पुराना है
तेरा यूं उलझाना मुझे ,ज़िन्दगी की उलझनों में
तेरा खेल सारा बस, मुझे कुछ समझाना है
शुक्रिया तेरा दिल से अदा करती हूं
तेरी दी हुई इस भेंट का सम्मान करती हूं
ए ज़िन्दगी तुझे फिर शत् शत् प्रणाम करती हूं।
तेरा लक्ष्य मुझे मज़बूत बनाना है
जिंदगी की उलझनों से रिश्ता मेरा पुराना है।।



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