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अपनी परी को अपनी फुलझड़ी का सूफियाना-सा वो नाम देना है
अभी तलक तो अपनी मोहब्बत का इज़हार भी
नहीं किया मैंने जो इकतरफ़ा था,,,
जो भी हो खैर अब, अपने ज़िंदगी भर के हर पल, हर लम्हें तुझको, तेरी यादों को
हर सेहर-ओ-शाम देना है
वैसे तो सोच रखा है कि, तू मिली तो
शुक्र है ख़ुदा का
वरना ठाना -सा है कि ज़िंदगी भर
शादी नहीं करनी है
तेरे चंद दिनों के हसीन लम्हें, तेरी यादों तेरी बातों की दिल से आज़ादी नहीं करनी है,,,...