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एक बार मुड़कर देखलो
एक बार वापस मुड़कर देखलो
हस्ते हस्ते पूरा दिन बिता दूंगा
बस एक झलक की तो बात है
तुम्हारे खयालो मैं सारे गम भुला दूंगा
चाहु में अपने दिन की शुरुवात
तुम्हारे दीदार के सात हो जाए
अगर कही घूम भी हो जाऊ
तो वजह तुम्हारी आँखे बन जाए
मेरे दिल का रेहता नही कोई ठिकाना
जब तुम आस पास होती हो
जी करता है बस तुम्हे निहारता ही राहु
जब तुम अपने खयालो मै खोई रहती हो
© Sohan Raut
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