इश्क़_ए_निशा
वासर से फासला सा हो चला है,
रातों से इश्क़ करने लगा हूं ।
तुम्हारे जाने का सा, था जो डर,
उस तरह का डरने लगा हूं!
निशा की आदत न थी पहले,
इसी के इश्क़ में फिसलने लगा हूं।
लगता नहीं था उठ पाऊंगा, फिसल कर भी,
पर अब फिसल के भी संभलने लगा हूं।
© stupid_me
रातों से इश्क़ करने लगा हूं ।
तुम्हारे जाने का सा, था जो डर,
उस तरह का डरने लगा हूं!
निशा की आदत न थी पहले,
इसी के इश्क़ में फिसलने लगा हूं।
लगता नहीं था उठ पाऊंगा, फिसल कर भी,
पर अब फिसल के भी संभलने लगा हूं।
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