मंज़िल
#WritcoPoemPrompt35
मंजिलों से कुछ फासले क्या हुए,
लोग सुनाने लगे,
मंजिलों से कदम क्यों तेरे लड़खड़ाने लगे?
लड़खड़ाए कदम कुछ पल सही!,
पर मंज़िल से कदम रुके न थे।
लड़खड़ाए जरूर कदम,
पर रहो से गीले किये न थे।
मिली मंज़िल,
ख़तम हुई ये राहें,
क्युकी मंज़िल पाने से हम जीजके न थे।
@quotes_lover1023
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© quotes_lover1023
मंजिलों से कुछ फासले क्या हुए,
लोग सुनाने लगे,
मंजिलों से कदम क्यों तेरे लड़खड़ाने लगे?
लड़खड़ाए कदम कुछ पल सही!,
पर मंज़िल से कदम रुके न थे।
लड़खड़ाए जरूर कदम,
पर रहो से गीले किये न थे।
मिली मंज़िल,
ख़तम हुई ये राहें,
क्युकी मंज़िल पाने से हम जीजके न थे।
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