#मजबूरी
#मजबूरी
झूठ नहीं मजबूरी है,
तुम जानों क्या क्या ज़रूरी है,
नंगे बदन की भी अपनी मजबूरी है,
ये ग़रीबी की मार और कुछ खुद की मजबूरी है ,
लोगो से लड़ना और ताने सुनना भी...
झूठ नहीं मजबूरी है,
तुम जानों क्या क्या ज़रूरी है,
नंगे बदन की भी अपनी मजबूरी है,
ये ग़रीबी की मार और कुछ खुद की मजबूरी है ,
लोगो से लड़ना और ताने सुनना भी...