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श्री कृष्ण अवतार
पाप कर्म का बढ़ा भार जब जब धरती पर
जब जब अत्याचार ने अपनी सीमा लांघी
मानवता का रक्त बहा जैसे बहती जलधार
लेकर रूप मनुज का प्रभु ने लिया पुन: अवतार

बना पिता को बन्दी, राजा कंस बना मथुरा का
अत्याचारी राजा पाकर दिन बिगड़ा मथुरा का
राजा ऐसा आज मिला है क्यों मथुरा को
पापी कंस सताता था अपनी ही जनता को

चहुंँ ओर कंस का भय व्यापक फैला मथुरा में हहाकार
भय की थी परम पराकाष्ठा था कंस का बड़ा अत्याचार
धरती भी भय से कांँप गई,न सह पाई पापी का भार
कल्याण हेतु तब  मानव का, प्रभु ने लिया पुन: अवतार

जब कंस ने अपनी बहन देवकी का था व्याह कराया
मथुरा में मनाया उत्सव वो और मन ही मन हर्षाया
विदाई शुरू हुई देवकी की तो पलटी तभी कहानी
चमकी घटा, काँँपी धरा, सुनाई पड़ा गगनवानी��"

" रे मूर्ख कंस क्या करता है,क्यों मृत्यु अपनी गढ़ता है
हो जिसके कारण मृत्यु तेरा,उसका ही आदर करता है
बसुदेव और तेरी अनुजा की आठ संतानें होंगी 
उनकी संतान आठवीं ही फिर तेरा काल बनेगी। 

डर गया मृत्यु के भय से कंस,मस्तक उसका झन्नाया
उठा लिया तलवार किंतु वह बहन को काट न पाया
चरणों में बसुदेव झुक गया, कंस को उसने समझाया
अपनी अनुजा की मृत्यु का कारण न...