...

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मैं और मेरा व्यक्तित्व
जल जाते हैं, सभी मेरी मुस्कान देखकर
क्योंकि कभी मैंने, दर्द की अपने नुमाइश नहीं की...
जिंदगी से जो मिला, कबूल किया मैंने
कभी किसी अलग चीज की, फरमाइश नहीं की...

मुश्किल है, समझ पाना मुझे
क्योंकि जीने के, अलग अंदाज है मेरे !
जो मिला, उसे खुशी से अपना लिया
जो नहीं मिला, उसकी कभी ख्वाहिश नहीं की...

ये भी सच है, कि जिंदगी से ज्यादा कुछ
पाया नहीं मैंने...
पर खुश हूं, कि अपने को गिरा कर
कुछ उठाया, नहीं मैंने...

Naveen akkhapur


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