...

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" थोड़ी सी "
" थोड़ी सी "

चले हो अपने दिल की नुमाइश करने..
हथेली पर लेकर तन्हाई का ढोल पीटने..
बात-बात पर मरने की दुहाई लेकर ताकि ..
कोई तो तरस खाएं इनकी हालतों पर..!

अफ़सोस के साथ कहना पड़ रहा है कि थोड़ी सी तमीज़ सीख लो..!
रिश्तों में जाने से पहले, उनसे बंधने से पहले जरा झुकने, सहेजने, सहनशीलता, सरस, सूझबूझ, सेवाभाव, मदद, फिक्रमंद, परिपक्वता, निस्संदेह, निस्वार्थ, क्षमावान, दयावान, उदारता एवं माधुर्य व्यवहार से पेश आने की थोड़ी सी हुनर सीख लो और अपने अहंकार को खुद पर अथवा अपने विचार में एवं जीवन पर कभी भी हावी नहीं होने दें..!
यही वो तमाम गुर हैं, जो रिश्तों को निभाने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, जिससे जीवन का खूबसूरत सफ़र यूँ ही हमेशा जारी रहे..!
रिश्तों में सुधार एवं मिठास तथा भीनी-भीनी महक़ कायम करने में सक्षम हैं..!

अरे, ओ नादान जो भी मिला उसी से प्यार हो गया वो प्यार की भावना से खिलवाड़ हुआ..!
प्यार तो ठहराव लाता है और जो एक बार होता है..!

जहाँ दिल ठहर जाए गर तो समझ लेना तुम्हें प्यार हो गया..!
फिर कोई और रास न आए, न भाए दिल तो उसी को तलाशे हर जगह पर तुम्हारी निगाहें..!

हमबिस्तर होने से प्यार नहीं पनपता वासना का सफ़र शुरू होता है..!
सच्चा प्यार हो जाए तो इंसान वासना के बिना भी संग जीवन बिताएं क्योंकि वहाँ दो इंसानों के दरमियाँ आत्मा से जुड़ाव होता है जो भावनात्मक स्तर पर होता है..!

इसी अवस्था को प्राप्त होने अथवा हम जब इस सच्चाई को समझ लेते हैं तो उसे ही बिना शर्त के आत्म संबंध यानी कि अनकंडिश्नल प्रेम की उत्पत्ति होती है और सच्चे प्रेम को परीभाषित करती हैं, जो पूर्णतः निस्वार्थ भावना से ओतप्रोत है..!

🥀 teres@lways 🥀