बचपन ही सुकून है
बचपन में
मंदिर की घंटियाँ
मेले के झूले
होली के रंग
दिवाली मे अपनों का संग
दोस्तों से गप्पे
दोपहर की नींद
बड़े होकर कुछ बनने का ख़्वाब
सब सुकून देता था
बस ये बड़े होकर
कुछ बन क्या गए ...
मंदिर की घंटियाँ
मेले के झूले
होली के रंग
दिवाली मे अपनों का संग
दोस्तों से गप्पे
दोपहर की नींद
बड़े होकर कुछ बनने का ख़्वाब
सब सुकून देता था
बस ये बड़े होकर
कुछ बन क्या गए ...