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किसका था..
जो याद बन कर नब्ज़ मे हमारी बहता था ।
है तुम्हें भी क्या इल्म वो चेहरा किसका था ।।
हर दफा पूछती हैं ये निगाहें तन्हा रास्तों से ।
क्यूँ सफ़र पर हो कल इंतजार किसका था ।।
लगा हुआ है ये मज़मा दर पर मेरी मौत का ।
कि अब कब्र से क्या जाने कौन किसका था ।।
खबर किसे है किसी की यहाँ किस से पूछें ।
सबके हिज़ाबों में बंद वो खुदा किसका था ।।
बह न जाए अश्क़-ए-अब्र मे ये वज़ूद मेरा ।
डूबकर दरिया से आया वो इश्क किसका था ।।
फ़िज़ाऐं ऐसी कि 'अल्फाज' तू यूंँ बिखरा था ।
रूखसती पे तेरी आखिर वो नाम किसका था ।।
#WritcoQuote #writco
है तुम्हें भी क्या इल्म वो चेहरा किसका था ।।
हर दफा पूछती हैं ये निगाहें तन्हा रास्तों से ।
क्यूँ सफ़र पर हो कल इंतजार किसका था ।।
लगा हुआ है ये मज़मा दर पर मेरी मौत का ।
कि अब कब्र से क्या जाने कौन किसका था ।।
खबर किसे है किसी की यहाँ किस से पूछें ।
सबके हिज़ाबों में बंद वो खुदा किसका था ।।
बह न जाए अश्क़-ए-अब्र मे ये वज़ूद मेरा ।
डूबकर दरिया से आया वो इश्क किसका था ।।
फ़िज़ाऐं ऐसी कि 'अल्फाज' तू यूंँ बिखरा था ।
रूखसती पे तेरी आखिर वो नाम किसका था ।।
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