...

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किसका था..
जो याद बन कर नब्ज़ मे हमारी बहता था ।
​है तुम्हें भी क्या इल्म वो चेहरा किसका था ।।

​​हर दफा पूछती हैं ये निगाहें तन्हा रास्तों से ।
​क्यूँ सफ़र पर हो कल इंतजार किसका था ।।

​लगा हुआ है ये मज़मा दर पर...