निर्भया
भय में रहती कहलाती है निर्भया
मानवता की देखो डूब रही नैया,
क्रूरता पर लगा फिर सरकारी लेप
हां ,आज हो गया एक और रेप
शरीर तो जलते होंगे रोज
आज जली संवेदना और आत्मा,
कैसे हंसते रहे दरिंदे देखो
रोती रही आज एक और मां
रहम की मांगी होगी भीख
और हाथ भी...