...

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बचपन की यादें
न चाँद न सितारों की,
गिनती अब नहीं आती है,
काली रात मुझे डराती है,
माँ तुम्हारी बहुत याद आती है,

खुले आसमान में जुगनू की,
चमचमाहट मुझे सताती है,
रात में बहती मन्द-मन्द हवा,
माँ के आँचल की याद दिलाती है,

माँ नींद न आना आँचल लहराना,
हाथों की थपथपाहट याद आती है,
राजा-रानी और परियों की कहानी,
लोरियों की गुनगुनाहट याद आती है,

गड़गड़ाहट बिज़ली और बादलों की,
रोशनी मुझको आज भी डराती है,
माँ तुम्हारे स्नेह याद बहुत तड़पती है,
माँ तुम्हारी बहुत याद आती है 🍂








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