...

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अनजान परिंदा
जमीन पे वो चल ना सका,
आसमान से भी गया...
कटा के पर वो परिंदा ,
उड़ान से भी गया..
तबाह कर गई उसे पक्के मकान की ख्वाहिश, वो अपने कच्चे मकान से भी गया...
पराई आग में कूदकर क्या मिला उसे , खुद भी जल गया और उसे भी बचा ना सका..।