इश्क का खूबसूरत सफ़र...........
सफर खूबसूरत है अब मंजिल से भी काफी
तुम्हारी यादों में ठहरे हुए....
लगता ही नहीं कि तुम दूर हो मुझसे कहीं भी क्योंकि अब मेरी हर रात बीतती है चांद में तुम्हारा ही दीदार करते हुए.....
दर्द से गुजरना ही नहीं पड़ता अब मेरे दिल को जरा सा भी...
क्योंकि धड़कने भी अब मेरी चलती है तुम्हें ही थामें हुए....
तुम्हारी छोटी-छोटी बदमाशियो को भी अब मिस नहीं करना पड़ता मुझे जरा सा भी क्योंकि आंखों के सामने अपने आप ही आ जाती हैं झलक तुम्हारे साथ बिताए हुए उन खास पलों की....
सच कहा है किसी ने कि प्यार एक एहसास की जुबान है..
इसलिए शायद मेरा प्यार भी मुझे हर वक्त एक खूबसूरत एहसास से रूबरू करवाता रहता है ...
प्रेम के ढाई अक्षरों का पाठ तो मैं अब अपनी हर सहेली को पढ़ाती फिरती हूं लेकिन मेरी बातें उन सभी को एक बकवास सी लगती हैं
पर फिर भी मैं उनसे इस बात पर बिल्कुल भी रुठती तक नहीं
क्योंकि मुझे पता है कि जब उन्हें किसी से सच्चा प्यार होगा तो बेशक मेरी बातों पर भी यकीन होगा...
तुम कितना बोलते थे कि मैं ही एक ऐसी लड़की हूं जो गाना सुनना तक पसंद नहीं करती है...
हंसी आती है अब तुम्हारी उन बातों को सोचकर मुझे बहुत
क्योंकि मैं तो अब वो लड़की बन चुकी हूं जो दिन भर ही गाने गुनगुनाया करती है .....
तुमसे बातें करने की अब ऐसी आदत पड़ चुकी है मुझे
कि जब तक रोज तुम्हें थोड़ा डायरी में लिख ना लूं तब तक दिन अधूरा सा लगता है .....
अनगिनत फूलों से भरा है मेरा बरामदा जिसके फूलों को मैं हर सुबह अपने गालों से स्पर्श कर उन्हें उन ढाई अक्षर से मिलवाती हूं...
हर रोज जब भी आईने के सामने सजने सवरने बैठती हूं तो तुम्हारी वो तारीफों वाली मीठी मीठी सी शायरी याद आ जाती है और मेरी पलकें खुद ही शर्माते शर्माते झुक जाती है और होंठ हौले हौले मुस्कुरा लगते हैं ......
आज भी जब सर्दियों में बालकनी में खड़े हो के अपने गीले गीले बालों को सुखाती हूं तो ऐसा लगता है जैसे कि तुम्हारी नजरें कहीं ना कहीं से मुझे ही देख रही है .......
अब जब कभी शादियों में जाती हूं तो दूल्हा दुल्हन के रूप में हम दोनों को ही खड़ा पाती हूं और एक बार फिर से अपने उन अद्भुत पलों को जी लेती हूं .......
जिन कहानियों को मैं कभी एक ख्वाब समझती थी अब खुद ही उन कहानियों को अपनी हकीकत बनते देख रही हूं .........
हर शाम उन हवाओं से मिलती हूं जो मेरे दिल को उन हसींन लम्हों से रूबरू करवाते हैं जो मैंने कभी तुम्हारे नाम किए थे ....
अब तो ऐसा लगने लगा है मुझे जैसे कि मैं उन ढाई अक्षर को ही जानने के लिए इस धरती पर आई हूं .....
वहम में थी मैं , जो प्यार को एक झूठ समझती थी जबकि दुनिया का सबसे बड़ा सच तो यही ढाई अक्षर ही है ....
रब से मांगी हर दुआ कबूल हुयी है मेरी क्योंकि इस सच्ची श्रद्धा का दूसरा नाम भी तो प्रेम ही है।
Adrika Mishra
तुम्हारी यादों में ठहरे हुए....
लगता ही नहीं कि तुम दूर हो मुझसे कहीं भी क्योंकि अब मेरी हर रात बीतती है चांद में तुम्हारा ही दीदार करते हुए.....
दर्द से गुजरना ही नहीं पड़ता अब मेरे दिल को जरा सा भी...
क्योंकि धड़कने भी अब मेरी चलती है तुम्हें ही थामें हुए....
तुम्हारी छोटी-छोटी बदमाशियो को भी अब मिस नहीं करना पड़ता मुझे जरा सा भी क्योंकि आंखों के सामने अपने आप ही आ जाती हैं झलक तुम्हारे साथ बिताए हुए उन खास पलों की....
सच कहा है किसी ने कि प्यार एक एहसास की जुबान है..
इसलिए शायद मेरा प्यार भी मुझे हर वक्त एक खूबसूरत एहसास से रूबरू करवाता रहता है ...
प्रेम के ढाई अक्षरों का पाठ तो मैं अब अपनी हर सहेली को पढ़ाती फिरती हूं लेकिन मेरी बातें उन सभी को एक बकवास सी लगती हैं
पर फिर भी मैं उनसे इस बात पर बिल्कुल भी रुठती तक नहीं
क्योंकि मुझे पता है कि जब उन्हें किसी से सच्चा प्यार होगा तो बेशक मेरी बातों पर भी यकीन होगा...
तुम कितना बोलते थे कि मैं ही एक ऐसी लड़की हूं जो गाना सुनना तक पसंद नहीं करती है...
हंसी आती है अब तुम्हारी उन बातों को सोचकर मुझे बहुत
क्योंकि मैं तो अब वो लड़की बन चुकी हूं जो दिन भर ही गाने गुनगुनाया करती है .....
तुमसे बातें करने की अब ऐसी आदत पड़ चुकी है मुझे
कि जब तक रोज तुम्हें थोड़ा डायरी में लिख ना लूं तब तक दिन अधूरा सा लगता है .....
अनगिनत फूलों से भरा है मेरा बरामदा जिसके फूलों को मैं हर सुबह अपने गालों से स्पर्श कर उन्हें उन ढाई अक्षर से मिलवाती हूं...
हर रोज जब भी आईने के सामने सजने सवरने बैठती हूं तो तुम्हारी वो तारीफों वाली मीठी मीठी सी शायरी याद आ जाती है और मेरी पलकें खुद ही शर्माते शर्माते झुक जाती है और होंठ हौले हौले मुस्कुरा लगते हैं ......
आज भी जब सर्दियों में बालकनी में खड़े हो के अपने गीले गीले बालों को सुखाती हूं तो ऐसा लगता है जैसे कि तुम्हारी नजरें कहीं ना कहीं से मुझे ही देख रही है .......
अब जब कभी शादियों में जाती हूं तो दूल्हा दुल्हन के रूप में हम दोनों को ही खड़ा पाती हूं और एक बार फिर से अपने उन अद्भुत पलों को जी लेती हूं .......
जिन कहानियों को मैं कभी एक ख्वाब समझती थी अब खुद ही उन कहानियों को अपनी हकीकत बनते देख रही हूं .........
हर शाम उन हवाओं से मिलती हूं जो मेरे दिल को उन हसींन लम्हों से रूबरू करवाते हैं जो मैंने कभी तुम्हारे नाम किए थे ....
अब तो ऐसा लगने लगा है मुझे जैसे कि मैं उन ढाई अक्षर को ही जानने के लिए इस धरती पर आई हूं .....
वहम में थी मैं , जो प्यार को एक झूठ समझती थी जबकि दुनिया का सबसे बड़ा सच तो यही ढाई अक्षर ही है ....
रब से मांगी हर दुआ कबूल हुयी है मेरी क्योंकि इस सच्ची श्रद्धा का दूसरा नाम भी तो प्रेम ही है।
Adrika Mishra