----मुझमें भी इक जंगल है-----
जंगल में उग आए बेतरतीब से घने पेड़ों की तरह,
उग आते हैं हर पल नये विचार मन में।
तर्कों की पगडंडियों से होते हुए,
पूर्वाग्रहों से स्थापित मानकों,
का अनुसरण करते हुए,
जब विचार निकलते हैं सुदूर भ्रमण पे,
तो भटक जाते हैं राहें,
बड़ा मुश्किल होता है उचित-अनुचित,
नैतिक-अनैतिक को तय करना।
अनुभव के कुछ पेड़ बबूल के हैं,
तो कुछ संदल हैं।
कहीं...
उग आते हैं हर पल नये विचार मन में।
तर्कों की पगडंडियों से होते हुए,
पूर्वाग्रहों से स्थापित मानकों,
का अनुसरण करते हुए,
जब विचार निकलते हैं सुदूर भ्रमण पे,
तो भटक जाते हैं राहें,
बड़ा मुश्किल होता है उचित-अनुचित,
नैतिक-अनैतिक को तय करना।
अनुभव के कुछ पेड़ बबूल के हैं,
तो कुछ संदल हैं।
कहीं...