...

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तुम्हे चाहा है..
सही गलत के दायरों से आगे , मोहब्बत की परिभाषा बिना जाने ,
ज़िंदगी की ख्वाइशों से परे ,
बिना तुम्हारी कोई आस करें।

नियमों का ना कोई बंधन माना ,
तुमको ना परखा , ना कुछ जाना ,
मन की सुनी हर इक बात ,
तुमसे जुड़े है सच्चे जज़्बात।

दुनिया की ना सोच कभी , तुमसे इश्क निभाया है। बस दिल में तुम्हे बसाया है ,
कुछ इस तरह मैने तुम्हे चाहा है।

उम्मीद ना कोई लगाई है ,ज़िद ना कोई मन में बसाई है ।
खुशियों में तेरी खुश हम है , ना शिकायत दिल में कभी आई है।

तुफा से भरे मन का दीपक मुझसे ना बुझ पाया है ।
बस दिल में तुम्हे बसाया है , कुछ इस तरह मैने तुम्हे चाहा है ।
© Ashish Morya