शहर में एकांतीता।.....
#विश्व_कविता_दिवस
मैं एक शहर में घूमने गया था,
जो सुनसान और खामोश था।
यहाँ कोई भी आवाज़ नहीं थी,
सिर्फ एकांत में थी ये धरती।
सड़कें खाली थीं बिल्कुल,
मैं तनहा सा था जैसे जीता हुआ।
लोग नहीं थे यहाँ पर,
बस आकाश और ज़मीन के बीच कुछ था रहा।
मैंने एक झील देखी वहाँ,
जो सुनसान और शांत थी।
पानी की सतह पर थी ना कोई...
मैं एक शहर में घूमने गया था,
जो सुनसान और खामोश था।
यहाँ कोई भी आवाज़ नहीं थी,
सिर्फ एकांत में थी ये धरती।
सड़कें खाली थीं बिल्कुल,
मैं तनहा सा था जैसे जीता हुआ।
लोग नहीं थे यहाँ पर,
बस आकाश और ज़मीन के बीच कुछ था रहा।
मैंने एक झील देखी वहाँ,
जो सुनसान और शांत थी।
पानी की सतह पर थी ना कोई...