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दृष्टिकोण
विषय ~ दृष्टिकोण
विधा ~ सुलगी सुलगी सी चिता
दिनांक ~ 10.01.25

सुलगी-सुलगी सी चिता इतिहास के पन्नों पर कुछ यूँ बिखरी हैँ,
चिन्ताएँ इतिहास से आदम्य कि कहानी "दृष्टिकोण" से ही उजरी हैँ,
वक़्त बेवक़्त का जब-जब वक़्त से नकारा कर जिसने रख दिया,
बे-वजूद सुलगाती चिता देख "सृष्टिकोण" से जिस तरह अकरती हैँ।

जलते हुए दीपक को क्यूँ इस तरह बुझाती गृहणी संभालती हैँ,
नादान-ए-दिल से उतरी जिसकी अद्धभुत भूमि सहती धरती हैँ,
करते-करते...