अपने
मासूम सूरत ,
मीठी जबान ,,
वे अपने ,
थे जो भयावह सपने ,,
करते थे कलरव मिठास में ,
प्रतिबिंब दिखता था कटार में ।
छप्पर तले हम रहते थे ,
आता देख किरणों का गोला ,
संवेदना की बातें वे कहते थे ,
कमी सही ,
पर ईमान बढ़ा हमारा वे कहते थे ।
गर्मी...
मीठी जबान ,,
वे अपने ,
थे जो भयावह सपने ,,
करते थे कलरव मिठास में ,
प्रतिबिंब दिखता था कटार में ।
छप्पर तले हम रहते थे ,
आता देख किरणों का गोला ,
संवेदना की बातें वे कहते थे ,
कमी सही ,
पर ईमान बढ़ा हमारा वे कहते थे ।
गर्मी...