...

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...तुम आ जाओ।
वो हल्की-हल्की बूंदों की पहली बरसात हो।
वो गीली मिट्टी से आने वाले खुशबू भी साथ हो।
सुबह-सुबह चिड़ियों की मधुर चहचाहट हो।
फिर किसी अपने की पास होने की आहट हो।
ऐसे में तुम आ जाओ, ऐसे में तुम आ जाओ।

फिर से खो गया हूँ उन हँसी-ठिठोली यादों में।
फिर से याद किया है तुमको अपनी ही फरियादों में।
आओगे तुम पता है मुझको खुद को मैंने है समझाया।
हम तो देखो आ गये हैं, अब तुमको है आना।


© Mr. Busy