...

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विचारों में ही खोया रहता हु।
अब तो मैं विचारों में ही खोया रहता हु,
सन्नाटे की धुन में सुन रहता हु,
अब इस मन को सन्नाटा ही भाता है,
असली दुनिया में लोटने को मन कतराता है।

किसी के बतलाने से चौंक जरूर जाता हु,
लेकिन भंग ध्यान को मैं फिर सन्नाटे पर ही लगता हु,
विचारों में फिर डूब मैं जाता हु,
अब तो मैं विचारों में ही खोया रहता हु।

मन तो मेरा तिनके के समान है,
जहां अंधी चले वही उड़ जाता हु,
सन्नाटे की धुन पर मन करता है मर मिट जाऊ,
अब तो मैं विचारों में ही खोया रहता हु।

मन को बात बनाने में बड़ा मज़ा आता है,
निराश-लाचार मैं भी इसमें डुबकी लगता हु,
नशा है यह जो दर्द भुला देता है ,
अब तो मैं विचारों में ही खोया रहता हु,
अब तो मैं विचारों में ही खोया रहता हु।

© Kuldeep_Saharan