मेरी भक्ति..
ना ललक ना चाहत ना ही दूसरों की भक्ति से ईर्ष्या..
मेरी भक्ति तो मुझे लगती है स्वयं में मिथ्या..!
हे कान्हा जब तुम चाहते हो..
तब ही होती है...
मेरी भक्ति तो मुझे लगती है स्वयं में मिथ्या..!
हे कान्हा जब तुम चाहते हो..
तब ही होती है...