...

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अधूरे
नींद अधूरी ख़्वाब अधूरे, ख़्वाबों के मेहराब अधूरे
कल-कल करता जीवन बहता, पर जीवन के आब अधूरे
यही समय है पूरा कर लो, जो चाहो मुठ्ठी में भर लो
फिर आगे का पता किसे है, कितनों के घर-बार अधूरे
प्रांतर बनकर जियो नहीं तुम, घुटकर अमृत पियो नहीं तुम
मुक्त बेड़ियों से बेहतर हैं, अपने मन के घाव अधूरे
कैसा...