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निगाहों ने किए शिकवे
किसी के लिए क्यों तड़पता रहे दिल
किनारे पे आ कर भटकता रहे दिल
कहानी हुई ख़त्म जिस मोड़ पर थी
उसी मोड़ पर क्यों अटकता रहे दिल
किए थे कभी जो मोहब्बत के वादे
उन्हीं से बता क्यों खटकता रहे दिल
तिरे दिल ने गाया कभी गीत था जो
उसी गीत से क्यों चटकता रहे दिल
निगाहों ने हमसे किए थे जो शिकवे
बता क्यों उन्हीं पर छलकता रहे दिल
बहर: 122 122 122 122
© अमरीश अग्रवाल "मासूम"
किनारे पे आ कर भटकता रहे दिल
कहानी हुई ख़त्म जिस मोड़ पर थी
उसी मोड़ पर क्यों अटकता रहे दिल
किए थे कभी जो मोहब्बत के वादे
उन्हीं से बता क्यों खटकता रहे दिल
तिरे दिल ने गाया कभी गीत था जो
उसी गीत से क्यों चटकता रहे दिल
निगाहों ने हमसे किए थे जो शिकवे
बता क्यों उन्हीं पर छलकता रहे दिल
बहर: 122 122 122 122
© अमरीश अग्रवाल "मासूम"
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