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इंतज़ार
एक झलक की खातिर फसाने चूम आए
हकीकत की तलाश में ज़माने घूम आए।
दर गुज़र हैं हम उसकी नज़रों के मंज़र से
उसको भुलाने की खातिर मैखाने घूम आए।
दिल ए आशुफता सर वो भी क्या याद करे
मुद्दतों से थे इंतज़ार में वो अफसाने घूम आए।
हसरत नहीं रही अब मोहब्बत की किसी से
अपनी खुरबत आइने में दीवाने घूम आए।
हकीकत की तलाश में ज़माने घूम आए।
दर गुज़र हैं हम उसकी नज़रों के मंज़र से
उसको भुलाने की खातिर मैखाने घूम आए।
दिल ए आशुफता सर वो भी क्या याद करे
मुद्दतों से थे इंतज़ार में वो अफसाने घूम आए।
हसरत नहीं रही अब मोहब्बत की किसी से
अपनी खुरबत आइने में दीवाने घूम आए।
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