...

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ज़माने के दर्द
एक वक्त मैं भी लिखता था,
टूटे दिल के अनगिनत फ़साने,
जब दुनिया को देखा तो समझा,
के ग़म से जूझते रहे हैं सारे ज़माने।

दिल टूटना जुड़ना बेहद आम है,
इसे कैसे कह दूँ दर्द का पैमाना,
यहां ग़मों के अंबार लगे हुए हैं,
अपने छोटे ग़मोंं को बड़ा क्या बताना।

मैंने बिलखते लोगों को देखा है,
अपनों की याद में तरसते...