...

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गुस्ताखियां
मैं रात की तरह वो ख़्वाब बुनू
जो तेरे साए के साथ चलू

मैं ख़ामोश सा अपने जज़्बात छुपाए हुए
तुझसे नजर यूं बचाए हुए

हां नादान हूं अपने इन अल्फाजो से
तुझसे ना कह पाने की हैं गुस्ताखियां

तेरे साय से सिमट कर मैं यूं ही रह जाऊं
हां ये गुस्ताखियां मैं बार बार करु

तुझसे अलग ना...