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नायक
सौ दर्द से गुज़रा था वो
सौ ज़ख़्म उसने खाये हैं
जो फौजी सरहद पर लड़ते थे
अब रक्षा को सड़कों पर भी उतर आए हैं
जान बचाने का बेड़ा सबने एक जुट होकर उठाया है
सुरक्षा कर्मी हो या चिकित्सक सभी ने मातृ भूमि का साथ निभाया है
जान का खतरा लिया है किसी ने
तोह किसी ने ईठ पत्थर खाये हैं
धर्म जात का कोई भेद नही है जिनको
ऐसे महारथी सेवा तत पर आये हैं
नमन है सबको जो जीवन दान देने आए हैं
स्वच्छता भी बनी रही और सवस्थ पर्यावरण भी लाए हैं
जीवन शैली हमारी बिगड़ी नहीं ज़रा भी
देखो कितने काबिल नागरिक हमारे देश ने बनाये है
सौ ज़ख़्म उसने खाये हैं
जो फौजी सरहद पर लड़ते थे
अब रक्षा को सड़कों पर भी उतर आए हैं
जान बचाने का बेड़ा सबने एक जुट होकर उठाया है
सुरक्षा कर्मी हो या चिकित्सक सभी ने मातृ भूमि का साथ निभाया है
जान का खतरा लिया है किसी ने
तोह किसी ने ईठ पत्थर खाये हैं
धर्म जात का कोई भेद नही है जिनको
ऐसे महारथी सेवा तत पर आये हैं
नमन है सबको जो जीवन दान देने आए हैं
स्वच्छता भी बनी रही और सवस्थ पर्यावरण भी लाए हैं
जीवन शैली हमारी बिगड़ी नहीं ज़रा भी
देखो कितने काबिल नागरिक हमारे देश ने बनाये है
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