...

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बस जज़्बात लिखती हूं
शायर नहीं हूं फिर भी शायरी लिखती हूं,
कवि नहीं हूं फिर भी कविता करती हूं।

लेखिका नही हूं फिर भी कहानियां बुनती हूं,
जज़्बाती हूं इसलिए बस जज़्बात लिखती हूं।

हर दर्द को अलफ़ाज़ के मोतियों में पिरोती हूँ,
समेटकर हर लफ़्ज़ों को किताबों में रखती हूं।
©हेमा