...

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गीत

खूबसूरत   बहुत   जिंदगी    है   प्रिए,
व्यर्थ  की  बात  करना  नहीं  चाहिए।

मैं कलमकार हूं  तो कलम  से  सदा,
शब्द  को  गीत  का  रूप  देता   रहूं।
होंठ पर हर  किसी के  मेरे  गीत  हों,
आप गुरुओं का  आशीष  लेता  रहूं॥

शीर्ष मिल जाएगा किंतु इस बात का,
बे  वजह  दंभ  भरना   नहीं   चाहिए॥

लोग  उलझे   रहे   एक  ही  बात  पर,
फिर अनायास  ही  लोग  लड़ने  लगे।
'मैं बड़ा हूं' इसी   बात   की   जंग   है,
लोग छोटा  कहा  तो   अकड़ने  लगे॥

बात   ऊंची   रहेगी    सदा    आपकी,
बीच  से   यूं   कुतरना   नहीं   चाहिए॥

बन  रही   है   प्रबल   एक   संभावना,
आज  फिर  दूर  से  एक  आहट  हुई।
दूर  तुमसे  बहुत   मैं   चला   जाऊंगा,
सोच कर दिल में इक छटपटाहट हुई॥

प्रेम  को  रख  सकोगे   नहीं  बांधकर,
दूर  जाने  से    डरना   नहीं   चाहिए॥

वरुण तिवारी
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