...

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आखिर जिम्मेदार कौन!!
उसकी बेरुखी ने मुझे इस कदर कर दिया,
मेरी ख्वाहिशों में जख्मों ए जहर भर दिया।
ढूंढ़ती थीं नजरें जिसे हर महफिलें शाम,
रोशनी की तलाश ने मौत से बेखबर कर दिया।।
दुआ मांगी थी हमने खुदा से उसकी सलामती का,
मगर नफरतें निगाहों ने मुझे दर बदर कर दिया।
यादों को उनके मैं अपने ख्वाबों में सजाने चला था,
मेरी हसरतों को तनहाईयों ने बेअसर कर दिया।।
जगी थी तपिश सी उनसे आशिकी की,
पर जिल्लतों ने मेरा गमे हसर कर दिया।
हर लमहां गुजरे मेरा उनके इंतजार में,
आस उनकी झलक को जनाजे में ,
मेरे ये पहर कर दिया।।
written by (संतोष वर्मा)
आजमगढ़ वाले ..खुद की ज़ुबानी..